इन भीगे लबों के सामने, ये समा भी भीगा लगता है। इन भीगे लबों के सामने, ये समा भी भीगा लगता है।
कहां तुझे ढुंढु, कैसे तुझे पाऊँ, नज़र तू नहीं आ रही। कहां तुझे ढुंढु, कैसे तुझे पाऊँ, नज़र तू नहीं आ रही।
नफरतों के दाएरे, छोड़, आ गए जोड़ने आज हर मन को... नफरतों के दाएरे, छोड़, आ गए जोड़ने आज हर मन को...
लहर की एकमात्र इच्छा समुद्र की तरह विशाल बनने की। लहर की एकमात्र इच्छा समुद्र की तरह विशाल बनने की।
कितना खूबसूरत ऐ समा ज़मीं से मिला दूं आसमां कितना खूबसूरत ऐ समा ज़मीं से मिला दूं आसमां
करो विश्वास जो मेरा, सनम मेरी अमानत हो। करो विश्वास जो मेरा, सनम मेरी अमानत हो।